Saturday, February 16, 2019

Start up and youth - Jawahar Formula 4 for employment in New India

फ़्यूचर भारत- युवा जोश और स्टार्ट अप
जवाहर फ़ॉर्म्युला  
डॉक्टर जवाहर सुरिसेट्टी - फ़्यूचरिस्ट

६५ % युवा देश और हर गली कूचे पर युवाओं का दबदबा ये है भारत कि कहानी पूरी दुनिया में इस युवा देश का डंका बज रहा है अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में भी भारत के युवाओं का लोहा मन चुका है ख़ासकर के सिलिकान वैली में मगर भारत के इस युवा को भारत में ही रोज़गार के लिए जूझना पड़ रहा है इसका कारण है शासकीय नौकरियों में वोट की राजनीति की वजह से सेवानिवृत्त होने की उम्र को बढा दिया जाता है इससे जो रिक्त पद होने थे और जिनके युवाओं का हक़ था वो उससे वंचित हो जाते हैं  
आज का युवा स्वरोज़गार पर विश्वास करने लगा है अगर स्वरोज़गार के रास्ते चलने वालों को प्रोत्साहन एवं सहायता मिले और उनको अच्छी मात्रा में सफलता मिलने लगे तो उनको देखकर एक बड़ा तबक़ा जो शासकीय नौकरियों की ओर लालायित रहता है उनका रुझान भी स्वरोज़गार की ओर बढ़ने लगेगा स्टार्ट अप एक ऐसा रास्ता है जो कठिन तो है मगर सिर्फ़ उनके लिए जो मेहनत नहीं करना चाहते हैं , जो चैलेंज से घबराते हैं और जो रिस्क उठाना नहीं चाहते हैं ये भी देखा गया है की जो युवा कुछ नया करना चाहते हैं उनको उनके अभिभावक रिस्क लेने से डराते हैं और स्थिर सरकारी या बैंक की नौकरी की ओर धकेलते हैं
आइए अब देखे की भारत में किस तरह से हम स्टार्ट अप को भुनाएँ और हमारे युवाओं को बेहतर बनाएँ पूरे देश में जिस तरह शिक्षा का अधिकार क़ानून लाया गया है जिसने किसी भी बच्चे को ग़ैर शासकीय स्कूल में जाने का उत्साह दिया उसी तरह किसी भी युवा जिसके पास सपने हैं और एक बेहतर आईडीया है उसे प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि वो ना सिर्फ़ अपना रोज़गार बनाए साथ साथ दूसरों को भी नौकरी दे सके भारत से टैलेंट का पलायन इसलिए होता है की यहाँ उसकी क़दर नहीं है और इंग्लैंड, अमेरिका , कनाडा आदि जगहों पर इनको तराशा जाता है और ये हीरे अपने हुनर से डंका बजाते हैं मगर वो भारत  के ऋणी नहीं होते और वो इन बड़े शहरों के बनके रह जाते हैं
ये है उपाय - जवाहर फ़ॉर्म्युला
जिस तरह हर ग़ैर शासकीय स्कूल २५ ग़रीब बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत हर वर्ष पढाता है उसी तरह हर उद्योग २५ युवाओं के आयडीया को तराशने में मदद करेगा २५ युवाओं को दो वर्ष तक लाख रुपए का अनुदान प्रति युवा के हिसाब से दिया जाए यह एक प्रक्रिया के तहत होता है की युवाओं को उद्योग द्वारा कॉलेज के अंतिम वर्ष में अपने प्लान को प्रेज़ेंट करने का मौक़ा मिले और एक निर्णायक मंडल हर उद्योग के लिए २५ लोगों का चयन करे वर्ष तक उनको तराशने के बाद समझ जाएगा की उसका उपाय चलने वाला है की नहीं  
अमूमन ये देखा गया है की १०-२० प्रतिशत ही सफल हो पाते हैं और अगर ये प्रतिशत यहाँ भी लागू किया जाय तो अगर हर राज्य के शीर्ष ५० उद्योग २५-२५ युवाओं को लेता है तो १२५० युवा अपने उपाय पर काम कर सकते है और अगर इसमें से २०% भी सफल हों तो २५० स्वरोज़गार तैयार हो जाएँगे इस तरह के स्टार्ट अप औसतन १२ युवाओं को रोज़गार देते हैं हैं जो की वर्ष में बढ़ के ५० तक भी होने की सम्भावना होती है २५० स्टार्ट अप ३००० युवाओं को प्रथम वर्ष में रोज़गार दे सकते हैं और ये आने वाले वर्षों में १५००० टाल भी जा सकता है यह सिर्फ़ एक राज्य का आंकडा है समूचे भारत को क़रीब प्रथम वर्ष में लाख रोज़गार मिलेंगे और दो वर्ष  बाद  ये पाँच  गुना हो सकता है
इस तरह शासन को पैसा भी नहीं लगना है , उद्योग को स्टार्ट अप में कुछ प्रतिशत भागीदारी भी मिल जाएगी और सफलता ले आधार पर शासन अपने स्तर पर प्रोत्साहन के लिए दो वर्ष बाद कुछ सुविधाएँ भी दे सकती है अभी के स्टार्ट अप की दुनिया में कम अनुभवी लोग मेंटॉर बन जाते हैं और युवाओं को ठीक मार्गदर्शन नहीं मिल पाती है मगर एक उद्योगपति अगर मेंटॉरिंग करे तो अनुभव का रियल लाइफ़ फ़ायदा युवाओं को मिल सकता है जिससे फ़ेल होने की सम्भावना कम होती है

यह एक अच्छा उपाय होगा उद्योग को राज्य के युवाओं के उन्नति में भागीदार बनने का , राज्य से युवाओं के टैलेंट का पलायन रोकने का , और रोज़गार पैदा करने का सब मिलके चलें तो राज्य का उद्धार हो सकता है और युवा पीढ़ी अगर सक्षम हो तो छत्तीसगढ़ को कोई रोक नहीं सकता